UPSC IAS Success Story : बकरी पाल कर घर चलाई मां, टीचर ने चुकाई फीस… जानिए विशाल के संघर्ष की कहानी

UPSC IAS Success Story

UPSC IAS Success Story : यूपीएससी में मुजफ्फरपुर के विशाल ने 484वां रैंक हासिल किया है. बचपन में ही पिता का साया उठ चुका था. अब उसने पिता के सपने को पूरा कर दिखाया. पिता कहते थे कि मेरा विशाल पढ़-लिख कर एक दिन बड़ा आदमी बनेगा.

कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। मुजफ्फरपुर के विशाल ने इस कहावत को सच कर दिखाया है. बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले विशाल ने यूपीएससी में 484वां रैंक हासिल कर सफलता हासिल की है। वह अपनी सफलता का श्रेय परिवार के साथ-साथ शिक्षक गौरी शंकर प्रसाद को देते हैं।

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बेकार परिस्थिति में टीचर ने किया मदद

विशाल ने बताया कि कैसे उनके शिक्षक गौरी शंकर ने कठिन परिस्थितियों में उनकी मदद की और उन्हें यूपीएससी क्रैक करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया, “शिक्षक गौरी शंकर ने पढ़ाई के लिए मेरी फीस का भुगतान किया। मेरी पढ़ाई के दौरान, जब पैसे की कमी के कारण मुझे रहने में कठिनाई हो रही थी, तो शिक्षक ने मुझे अपने घर में रखा। जब मैंने काम करना शुरू किया, तो उन्होंने मुझे अपना घर छोड़ने के लिए कहा। नौकरी करो और यूपीएससी की तैयारी करो।उस दौरान भी उन्होंने आर्थिक रूप से मेरी बहुत मदद की।

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UPSC IAS Success Story – IAS Vishal

दरअसल, मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड के मकसूदपुर गांव निवासी विशाल के पिता की साल 2008 में मौत हो चुकी है. परिवार का पालन-पोषण करने के लिए पिता मजदूरी का काम करता था. विशाल की मां रीना देवी ने पिता को सिर से उठाकर बकरियों और भैंसों को पाल-पोस कर परिवार का पालन-पोषण किया। लेकिन उन्होंने विशाल को कभी इस बात का अहसास नहीं होने दिया कि उनके पिता इस दुनिया में नहीं हैं.

विशाल के पिता स्वर्गीय बिकाऊ प्रसाद हमेशा कहा करते थे कि मेरा विशाल एक दिन पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बनेगा। विशाल ने आज इस बात को सच कर दिया है। जिससे पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है।

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विशाल की शैक्षिक योग्यता

आपको बता दें, विशाल साल 2011 में मैट्रिक का टॉपर था। फिर साल 2013 में उसने परीक्षा पास की और आईआईटी कानपुर में एडमिशन लिया। साल 2017 में वह पास आउट हो गए। फिर एक साल रिलायंस में काम किया। नौकरी के दौरान ही टीचर गौरी शंकर ने उन्हें नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी करने को कहा। नौकरी छोड़ने के बाद टीचर ने विशाल की आर्थिक मदद की। फिर सच्ची लगन और मेहनत से आज विशाल ने अपनी मंजिल हासिल कर ली है। विशाल की इस कामयाबी पर लोग घर पहुंचकर उन्हें और परिवार को बधाई दे रहे हैं.

वहीं शिक्षिका गौरी शंकर ने बताया कि विशाल शुरू से ही पढ़ाई में काफी होशियार था. लेकिन 2008 में जब उनके पिता की मृत्यु हुई, तो वह उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। विशाल ने तभी से कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी और नतीजा यह हुआ कि आज उसने यूपीएससी पास कर ली है.

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